Wednesday, 28 January 2015

सड़क वही की वही लेकिन गाड़ियों का इजाफा दो दूनी चार की गति से।


ट्रैफिक जाम, चारो ओर सड़क पर हॉर्न और पौ - पौ की आवाज़,
एक सेकंड गाड़ी थमी नहीं की इतना शोर की कानों के परदे फट जाए,
क्या लोगों के पास धैर्य नहीं है इंतज़ार करने का या फिर गाड़ियाँ, मोटर - कारें इतनी ज्यादा हो गयी है कि सड़क ही छोटी पड़ गई है।

पहले मुहल्ले में कोई एकाध - पैसेवाले के घर गाड़ी होती थी,
आज आलम यह है की हर घर में, हर व्यक्ति के पास गाड़ी है चाहे वह लोन पर ही क्या न हो।
गाड़ी की जरूरत हो या न हो लेकिन गाड़ी एक स्टेटस सिंबल बन गई है।
प्रदुषण की तो खैर बात ही छोड़ो।
वह भी एक समय जल्द ही आएगा की गाड़ी एक के ऊपर एक जमीन के ऊपर लहराएगी।

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