Thursday, 5 February 2015

दूसरो को दुख देने मे कैसा आनंद ?

लाउडस्पिकर, पठाके की आवाज़, शादियो और त्योहारो मे आम बात।
ध्वनिप्रदूषण और वायूप्रदूषण, साथ - साथ गाने लगा दिए गये है।
जोरदार आवाज़ मे बज रहे है।

पढ़ाई की समस्या, बुज़ुर्गो - मरीज़ो की समस्या,
जहाँ हर दूसरा व्यक्ति तनाव का शिकार,
नींद न आने की समस्या से परेशान।

उसपर इस तरह का महॉल, सेहत खराब करने के लिए खफी है।
अपने आनंद और मस्ती के लिए दूसरो को दुख, कहा तक जायज़ है?

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