Saturday, 14 March 2015

" आप " क्यों हो गए मतलबी ?


क्यों आप में मचा है बवाल, केजरीवाल करा रहे है इलाज,
प्रशांतभूषण, योगेन्द्र यादव अपनी ही पार्टी से निष्काषित,
अंजली दमानियाँ का इस्तीफा,
ऐसा तो नहीं दिल्ली वालों को ठग लिया गया ?

जिस आम - आदमी पार्टी की जनता ने सर आँखों पर बिठाया,
वही आज संतरे की फाँक के समान बिखरने की कगार पर।

अपनी - अपनी डफ़ली और अपना - अपना राग,
अभी भी वक्त है संभलने का,

एक चायवाला प्रधानमंत्री,
एक मफ़लरमैन आम आदमी मुख्यमंत्री,
जनता के कारण बन सकता है तो,
अर्श से फर्श तक पहुँचा भी सकती है। 

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