परीक्षाएँ शुरू, अभिभावक परेशान,
बच्चे बदहवास, रातों की नींद हराम,
क्यों परीक्षा को हौआ बना दिया है ?
परीक्षा और शिक्षा जिंदगी में आगे बढ़ने की सीढ़ी जरूर है,
पर जिंदगी तो नहीं।
फेल होने के डर से जान देनी पड़े,
उस परीक्षा का क्या फायदा।
जिंदगी तो हमेशा इम्तिहान लेती है, और सिखाती है।
पहली सीढ़ी पर चढ़ना है पर उसे अंतिम सीढ़ी नहीं बनाना है।
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