Wednesday, 4 March 2015

हमारी सुख - सुविधाएँ इन मजदूरों की बदौलत है।


बड़ी - बड़ी आकाश चूमती इमारते, मोनो रेल बन रहे हैं,
मजदूरों के बिना रह कार्य संभव नहीं,
धूल, मिट्टी - रेती, सीमेंट में काम करते मजदुर,
सड़क पर झोपड़ी बना कर रहते हुए उनका परिवार,

विकास का कार्य जारी है, एक दिन ये सब बन जाएगा,
फिर मजदुर को अपना डेरा - डंडा उठाना पड़ेगा,
लेकिन आखिर जाएँ तो जाएँ कहाँ,
जिंदगी तो इसमें कट गई,
दूसरों के लिए आशियाना तो बना ही नहीं,
फुटपाथ पर रहेंगे, पुलिस, बी .एम .सी के कर्मचारी आकर डंडा मारकर भगा देंगे।

गगनचुंबी इमारतों में रहनेवाले कोसेंगे की फुटपाथ को गंदा कर रहे हैं।
क्यूंकि इसका उन्हें एहसास नहीं की जो,
शानदार जीवन वे जी रहे है वह इन्ही मजदूरों की बदौलत है।


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