Tuesday, 1 September 2015

एक सैनिक की पत्नी का दर्द

शहीद की पत्नी बहुत सम्मान पर उसका दर्द कौन जानेगा  क्या समाज ,परिवार, सरकार ,रिश्तेदार
उसके मरने पर शोक मनाया गया ,अर्थी में लोगो ने बढ चढकर भाग लिया
दूरदर्शन पर बार बार दिखाया जा रहा था
घर पर जिले के मुख्यमंत्री आए ,सरकारी सहायता की घोषणा हुई ,लोगो से इंटरव्यू लिया जा रहा था
भाई ,मॉ ,बहन, दोस्त और गॉववालो से
लेकिन मेरा क्या होगा, सब कुछ अधर मे
गोद मे दुधमुंहा बच्चा ,बडी होती बेटी
उनके भविष्य की चिंता ,यह जो चार दिन का मेला
वह खत्म हो जाएगा ,सब लोग भूल जाएगे
प्रशस्तिपत्र और पेंशन तथा सरकारी  सहायता क्या उनकी जगह ले पाएगे
घरवालो की गिद्ध दृष्टि पैसो पर ,मर्दो की निगाहे
कैसे समाज के थपेडो को सहना
देश के लिए वह शहीद हुए पर मरते  हुए
क्यो उनको हमारी याद नही आई
गोली खाते और लडते एक बार भी मेरा और बच्चो का ख्याल नही आया
देश का मान रखा पर मेरे साथ भी तो सात फेरे लिए थे
जिन्दगी भर साथ निभाने का वचन दिया था
मेरी क्या गलती कि मुझे इस राह पर छोड गए
एक सैनिक की पत्नी हूँ यही

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