Monday, 26 October 2015

साहित्य कारों को राजनीति से दूर रहना चाहिए

साहित्य कार का सबसे बडा अस्त्र और हथियार उसकी कलम और लेखनी होती है
वह अपनी कलम से समाज में क्रांति ला सकता है
लोगों की विचारधारा को बदल सकता है तो फिर उसकी ऐसी क्या मजबूरी है कि उसे पुरस्कार लौटाने की नौबत आ पडी
उनके पास तो विरोध का सशक्त माध्यम है
वे अपनी बात कलम के जरिए रख सकते हैं जो ज्यादा गरिमापूर्ण होता
एक के बाद एक अपना अवार्ड लौटा रहा है क्यों
क्या वे राजनीति कर रहे हैं
पुरस्कार तो उनके लेखन को मिला था तो वे क्या उसका अपमान कर रहे हैं
लेखक और कवि अच्छा राजनीतिग्य भी हो सकता है
अटल बिहारी वाजपेयी जी इसके उदाहरण है
राजनीति में आना है तो खुल कर आए
प्रजातंत्र में हर व्यक्ति स्वतंत्र है
विरोध के और भी तरीके हो सकते हैं
लेखक अपनी रचना अवार्ड पाने के लिए नही करता
उसकी खुशी तो पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में है
लेखक को भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए
अभिव्यक्ति और न शब्दों के जादूगर को यह शोभा नहीं देता
विरोध करें  पर अपने कद के अनुरूप

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