मनुष्य पहले पेड काटता है फिर उससे कागज बनाता है फिर उस पर लिखता है पेड बचाओ
यह तो वही बात हुई जिस पेड की डाली पर बैठा है उसी डाली को काट कर अपने गिरने का रास्ता बना रहा है
पहले किसी एक या दो के घर गाडी होती थी आज हर घर में एक नहीं कई -कई गाडियॉ है
हर सदस्य के पास
कुछ जरूरत है तो कुछ शान शौकत के लिए
भले ही वह कर्ज पर हो
सीमेंट और क्राकिंट के जंगल पर जंगल खडे हो रहे हैं
हमें खुली हवा रास नहीं आती
हमें घर में प्राइवेसी चाहिए
मनोरंजन के भरपूर साधन हमने जुटा रखे हैं
पेडो की पूजा होती थी शायद यही कारण हो कि पेड का सम्मान करना था
यह नहीं रहेगे तो जीवन नहीं रहेगा
पीपल ,बरगद ,नीम हमारी संस्कृति से जुडे हुए है
यहॉ तक की कटीला बबूल भी
बॉस के बिना तो सब अधूरा हैं
शादी -ब्याह और पूजा पाठ में आम के पत्तों और केले के पत्तों से सब जुडे हुए है
हमें इनकी महत्ता को समझना है
पेड लगाना सबसे पुण्य का काम है
हर व्यक्ति यह आसान सा काम तो कर ही सकता है
इसलिए पेड लगाओ और पर्यावरण बचाओ
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Tuesday, 1 December 2015
हमारी भूमिका क्या हो पर्यावरण को दूषित न होने देने के लिए
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment