Saturday, 11 June 2016

जब इतना जुडाव तो अलगाव का क्या काम

रमजान का पवित्र महीना
रोजे रखे जा रहे हैं, नमाज पढी जा रही है
नमाजी के बाहर निकलने पर औरतें अपने छोटे- छोटे नौनिहालों को लेकर प्रतीक्षा में
फूंक मरवा कर नजर उतरवाने के लिए
ढाढी और लुंगी पहने हुए तथा घूम- घूमकर हर दूकान में लोहबान का धुऑ दिखाने वाले के इंतजार में
बला को भगाने के लिए
सुबह का नाश्ता बेकरी की पावरोटी से ही शुरू
गॉव में शादी-ब्याह पर चूडीहारिन से ही चूडी पहनना शुभ
बुनकरों और जुलाहों के हाथ से बनी बनारसी साडियॉ ही दुल्हन की शोभा
रामलीला में रावण और राम का पुतला बनाने वाले कारीगर
फिल्म इंडस्ट्री के नायकों और क्रिकटरों को सर ऑखों पर बिठाना
नेता से लेकर राष्ट्रपति पद तक को शोभायमान करना
वैज्ञानिक और शिक्षक , पुलिस और फौज
कुछ भी तो अछूता नहीं
रोजे के वक्त पकवानों की दूकानों पर और मुंबई के मुहम्मद अली रोड के मिष्ठानों का स्वाद चखने को बेताब
जब हिन्दू - मुस्लिम में इतना जुडाव तो अलगॉव का क्या मतलब

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