Sunday, 31 July 2016

गौ - वंश के नाम पर राजनीति

गौ माता हमारी पूजनीय है
देवी - देवताओं का उनमें निवास है
पर जबरदस्ती दूसरों पर उसको थोपे???
ईश्वर की पूजा हमारी इच्छा है करना या न करना
आज लोगों को शक के आधार पर मारा- पीटा जा रहा
चर्मकार जानवरों के चमडे से ही चप्पल बनाता था
दलित भी हिन्दू ही है
हमारा और उनका ईश्वर एक ही है
आज तो ब्रेन डेड होने पर मनुष्य की चमडी ,ऑखें, लिवर ,हार्ट सभी दान कर दिया जा रहा है
पारसी लोग तो मुर्दे शरीर को कुएं पर बनी जाली पर डाल देते हैं
ताकि चील ,कौए ,गीध जैसे पक्षियों का पेट भरे
मरने के बाद भी शरीर का उपयोग हो
जानवर का लोग खाने में उपयोग करते रहे हैं
अलग- अलग घर्म के अलग- अलग.
गौ रक्षा हमारी जिम्मेदारी है
पर मरे हुए जानवरों का क्या??
उठा कर ले जाना ही पडता है
अगर मना कर दिया तो क्या हालत होगी
एक वर्ग और जाति के लोग सदियों से यह कर रहे हैं
यह उनकी रोजी - रोटी से जुडा था
कसाई समाज भी इस व्यवसाय से जुडा है
अगर गाय या बैल बूढे हो जाय तो क्यों उनको बेच दिया जाता है
क्यों नहीं आजीवन उनकी देखभाल की जाय
आज बूढे मॉ - बाप की तो कोई देखभाल नहीं करता
तो ये तो मूक जानवर है
इनको मोहरा बनाकर उन्माद फैलाया जा रहा है
दंगे करवाए जा रहे हैं
जो सरासर गलत है और जो भी इसमें शामिल है उनके लिए कडे से कडे दंड का प्रावधान हो
आज अमेरिका जैसा देश हमारी सहिष्णुता को लेकर चिंतित है
कल दूसरे होंगे
यह सभी का फर्ज बनता है कि ऐसी ताकतों को हावी न होने दे
सहिष्णु हिन्दू धर्म को बदनाम न किया जाय
यह दधिची का देश है जहॉ हड्डियॉ तक दान दे दी थी
समाज कल्याण हेतु

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