पढने गई बेटी ,काम करने गई बेटी
बस ,रेल या रास्ते में कहीं भी सुरक्षित नहीं
कहॉ जाए बेटियॉ
कदम - कदम पर नराधम
कब क्या हो जाय
घर में रहे तो विकास नहीं
हर दौड में पीछे रह जाएगी
बेटी बचाओ ,बेटी पढाओ पर सुरक्षा??
जान की कीमत पर
पर घर में भी कहॉ महफूज है बेटियॉ
मॉ के गर्भ से ही उन पर खतरा मंडराता
किसी तरह बची
तो समाज के दरिंदों का खतरा.
सुरक्षा नहीं तो विकास नहीं.
बेटे और बेटी की दूरी मिटेगी नहीं
सदियों से यही चला आ रहा
अब तो कुछ संज्ञान ले समाज
इंसान ,इंसान बने ,न बने हैवान
उनको जीना ,उडना और विकास करने दे
रोशन करने दे सबका नाम
यह जिम्मेदारी सबकी
हर व्यक्ति ,समाज और सरकार की
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Saturday, 23 July 2016
बेटी बचाओ ,बेटी पढाओ ,बेटी की सुरक्षा का इंतजाम करो
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