पापा शब्द ही मन को निर्भय बना देता है
चेहरे पर मुश्कान आ जाती है
पापा है न मेरे फिर क्यों चिंता
कंधे पर रखकर खिलाना
गोद में उठाकर चलना
उंगली पकडकर बाजार ले जाना
जिद करने पर इच्छा पूरी करना
खुद जी तोड मेहनत करना पर अपने लिए कुछ न करना
बच्चों के भविष्य के लिए स्वयं का जीवन समर्पण
यहॉ - वहॉ नौकरी के कारण भटकना
पर बच्चों को सुव्यवस्थित घर देने की कोशिश
ऊपर से तो धीर- गंभीर पर मन से बच्चों जैसे
एकदम भावुक
गुस्सा तो क्षण भर का
अपने बच्चों को देख कर ही भॉप जाना
हर जगह उनकी सुरक्षा को तत्पर
चौकन्नी ऑखें ,बच्चों पर कुछ ऑच न आए
हर समस्या का निदान ,दुख में ढाढस को तैयार
मॉ पर भी अपना अधिकार जताना
जो काम मॉ न कर सके वह चुटकियों में कर दे पापा
घर का प्रहरी ,पालनकर्ता
वह तो बस हो सकता है पापा
कितने अच्छे कितने प्यारे होते है पापा
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Tuesday, 26 July 2016
पापा जैसा कोई नहीं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment