Tuesday, 5 July 2016

पेड करे पुकार - मानव तुम क्यों इतने बेपरवाह

ओ पथिक जरा सुनो ,मेरी ओर भी देखो
इस उजाड और सूखेपन का जिम्मेदार मानव
कोई देखभाल करने वाला भी नहीं
याद है वह दिन
जब पूरे ताम- झाम के साथ मेरा रोपण हुआ था
उस दिन एक बडे नेता तथा उनके कार्यकर्ता मुझे घेरकर खडे थे
मिट्टी खोदकर मुझे लगाया ,सींचा,फोटो खिचवाया
मुझे अपनी किस्मत पर नाज हो रहा था
पर आज लग रहा है जंगल में ही मैं ठीक था
मुझे लगाने के बाद ईंटों की बाड बना दी
कैसे- कैसे मैं बडा हुआ
खाद  - पानी का तो ठिकाना नहीं
बरखा रानी कभी- कभी मेहरबान हो जाती
तो मैं हरा - भरा हो जाता
गाडियों के धुएं ने मेरा सॉस लेना दूभर कर दिया
कुछ तो कचरा भी फेक देते
मेरी इस हालत का जिम्मेदार कौन ???
क्यों लोग भूल जाते हैं
साल में एक दिन या एक सप्ताह वृक्षारोपण मनाने से कुछ नहीं होगा
हममें भी जान है ,यह क्यों भूल जाते हैं
हमारा भी बराबर पालन - पोषण होगा
उचित खुराक मिलेगी
तब ही तो हम भी पल्लवित - पुष्पित होगे
तुमको प्राणवायु देगे
जब हमारे ही प्राण मुरझा रहे हो
श्वास लेने में दिक्कत आ रही हो
तुमको कैसे बचाएगे
हमारे लिए न सही अपने लिए ही हमारी रक्षा करो .

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