Monday 13 February 2017

रेनकोट और बाथरूम पर राजनीति

किसने कितना काम किया
यह छोडकर किसने क्या किया
कौन मॉ- बेटा ,कौन पप्पू
कोन रेनकोट पहनकर बाथरूम में स्नान किया
तो कौन स्कैम में फँसा है
तो कौन राम को याद कर रहा है
कौन भूल गया
किसने क्या बॉटा और क्या खाया
संसद से लेकर सडक तक बदजुबानी
यह हमारे राष्ट्र के खेवनहार
शालीनता तो विलुप्त ही हो गई है
संसद की गरिमा का ध्यान भी नहीं
कौन- सी भाषा का प्रयोग
दूध का धुला तो कोई भी नहीं
वार पर वार और शब्दोंके बाण चल रहे हैं
वह भी हँस हँसकर
इतना नीचे तो संसद कभी गिरा नहीं था
कटाक्ष करने से तो अच्छा मौनी बाबा बन कर रहना
कौन क्या बोल रहा है
यह तो सब समझ रहे हैं
व्यंग्य तो अनपढ भी समझ जाता है
और वह इसमें माहिर भी होता है
पर जनता के नुमाइंदे और पार्टी के प्रवक्ता
अभिनय करना इस तरह से
मानों यह नेता नहीं कलाकार है
दूसरोँ की खिल्ली उडाने से पहले हर नेता अपने गिरेबान में झॉककर देखे
और शालीनता की भाषा का प्रयोग करे
तभी देश और देशवासियों का कल्याण होगा
काम करे और काम द्वारा जवाब दे
तंज कस कर नहीं

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