Monday, 19 June 2017

एक गृहणी की व्यथा

आज व्हील चेयर पर बैठी सोच रही
अतीत उमड- धुमड रहा
सुपर वुमन थी एक समय
सबकी चिंता की ,सबका ख्याल रखा
पर स्वयं को भूल गई
जीवन की आपाधापी में " मैं " छूट गई
घर की धूरी ही मैं
पत्ता भी मेरे बिना न हिलना
सबकी परेशानी को दूर करने को तत्पर
जो क्षेत्र मेरा था वह भी जो नहीं था वह भी
हर चीज में दखलअंदाजी
कुछ करू या न करू सहारा तो बनती ही थी
पर आज के हालात
जिनकी परेशानी और चिंता थी
उनको परेशान देख विचलित हुआ जा रहा मन
मॉ ,भाई ,पति और बच्चे सब परेशान
पश्चाताप हो रहा है
क्यों नहीं पहले से अपना ख्याल रखा
जिनके चेहरे पर खुशी चाहती थी
आज उन्हें देख उदास हूँ
अब भी अगर ऐसा कोई कर रहा है तो सचेत हो जाए
अपने परिजनों और दिल के टुकडों को खुश देखना चाहते हैं
तो सबसे पहले अपना ख्याल रखिए
स्वयं खुश रहिए तो आपके अपने भी रहेगे
उन पर बोझ मत बनिए
आप सलामत तो जग सलामत

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