Friday, 23 June 2017

ईश्वर की महिमा अपरम्पार

एक सैनिक था ,वह अपनी टुकडी से बिछड गया था
परेशान हो यहॉ- वहॉ भटक रहा था
घना जंगल क्या करे कुछ समझ में नहीं आ रहा था
भूख- प्यास तो लगी ही थी ,जान के लाले भी पडे थे
अचानक कुछ पैरों की आहट सुनाई देती है
उसे लगता है कि शायद यह शत्रु पक्ष के सैनिक होगे
उसे देख तो मार ही डालेगे
प्राण भी प्यारा था ,उसको बचाने की चिंता
सीमा पर गोली खानेवाला इस तरह मरना नहीं चाहता था  ,वह छिपने की जगह ढूढने लगा
अचानक उसे कुछ गुफाएं दिखाई पडी
वह जाकर एक गुफा में छिप गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा
आपने किस मुसीबत में मुझे फंसा दिया
इतने में देखता है कि एक मकडी गुफा के द्वार पर जाला बुन देती है
वह और परेशान
भगवान ,मुझे बचाना छोड और मुसीबत में डाल रहे है
अब तो निश्चित ही ये सैनिक मुझे मार डालेगे
पदचाप और नजदीक आती गई
दुश्मन के सैनिक ही थे
वह इधर- उधर ढूढने लगे
कोई है तो नहीं
उनको भी गुफाएं दिखी
सबको गुफा में भी देखने को कहा गया
सब गुफाएं देखी पर इस गुफा के आगे आए तो कहने लगे
यहॉ कोई नहीं होगा
बाहर मकडी का जाला है
अगर कोई अंदर गया होता तो जाला जरूर टूटता
ऐसा तो कुछ दिखाई नहीं देता
यह कहकर वे आगे बढ गए
छिपे हुए सैनिक की जान में जान आई
वह सोचने लगा
अगर यह मकडी का जाला यहॉ नहीं होता तो उसकी मौत निश्चित थी
मैं तो भगवान को कोस रहा था
उसने तो मकडी को भेज दिया ,मेरी रक्षा के लिए
ईश्वर ने किसके लिए क्या विधान बनाए है
यह तो वही जान सकता है
उसके विधान पर संदेह करने कि अपेक्षा पूर्ण विश्वास करे कि
जो भी भगवान करता है सब अच्छा करता है
मन का  हो तो भी अच्छा
न हो तो भी अच्छा
क्योंकि उसमें आपकी नहीं ,ईश्वर की मर्जी शामिल होती है
      वह बचाने की सोच लेगा तो मकडी भी जाला तान देगी           नहीं तो
एक मामूली कंकड भी आपकी जान ले लेगा

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