Tuesday, 31 October 2017

मैं जीना चाहती हूँ

मुझे मरने से डर लगता है
मैं जीना चाहती हूं
हंसना- खिलखिलाना चाहती हूँ
अपनों के साथ रहना चाहती हूँ
मौज- मजा और एशो - आराम चाहती हूँ
पर यह होगा कैसे???
हर चीज की कीमत चुकानी पडती है
जीना है तो अनुशासन का पालन करना है
खाने के लिए नहीं जीने के लिए खाना है
व्यायाम और कसरत करना है
साफ - सफाई का ध्यान रखना है
समय का पाबंद रहना है
तनाव और अशांति से दूर रहना है
प्रेम और स्नेह बॉटना है
संतोष को परम धन समझना है
लोभ ,मोह ,क्रोध को त्यागना है
गृहस्थी में रहकर संन्यासी बनना है
क्षमा को अस्र बनाना है
जीवन को सरल ,विचार को महान
ईश्वर पर विश्वास और अटूट आस्था
तब जीवन सार्थक बन जाएगा
डर नहीं श्रद्धा रखना है
नजरियॉ बदलना है
तब देखिए जीवन कितना आंनददायी हो जाएगा
अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना सीखिए
तो स्वर्ग भी यही महसूस होगा

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