वह शांत ,खामोश और वीरान
वह किसी का क्या बिगाडेगा
इस भ्रम में मत रहना
वह कब अपना रंग दिखाएगा
कहा नहीं जा सकता
इसमें तो दावाग्नि छुपी है
कब लपेट में ले ले
जब तक हरे- भरे
जब तक उनकी श्वाच्छोश्वास कायम
तब तक सब सही - सलामत
उनको जतन कर ऱखना है
उनकी उपेक्षा सभी पर भारी
वह फिर मानव या कोई और
उनको काटना ,नष्ट करना कहीं घातक न हो जाय
अंसख्य लोगों तक अपनी उर्जा पहुंचाना
सबको जीवन देने का प्राणप्रण से संकल्प
पर इतनी भी गफलत में मत रहना
हर जीव को संरक्षण देना इसका कर्तव्य
इसलिए वह किसी को चोट नहीं पहुंचा सकता
यह तो जंगल है
प्राणवायु के साथ प्राणघातक भी न हो जाय
मानव अगर जंगली बन सकता है
फिर जंगल तो जंगल है
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Friday, 10 November 2017
यह जंगल है भाई
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