Monday, 13 November 2017

स्वयं बदलो , समाज बदलेगा

हर वक्त शिकायतों का पिटारा
कभी परिवार कभी समाज ,कभी देश
कभी परिस्थितियॉ तो कभी सरकार
जरा अपने गिरेबान में झॉककर तो देखो
तुमने क्या किया़़़़़़
मीन मेख निकालना आसान
आगे बढ मोर्चा संभालना मुश्किल
मौका नहीं मिला
यह तो गलत बात
अवसर तो है तलाश तो करो
समस्या कहॉ नहीं??
कुछ तो निदान करो
अपने कदम तो बढाओ
कमान तो संभालो
कुछ नहीं तो मलाला बन कलम हाथ में ले लो
गाडगे बाबा बन झाडू उठा लो
मदर टेरिसा बन अनाथ को सनाथ कर लो
और कुछ न हो तो ऐसे लोगों के साथ होलो
सहयोग और भागीदार तो बन ही सकते हो
लाखो - करोडो का नहीं
किसी एक का ऑसू तो पोछ ही सकते हो
जरूरत है एक निश्चय की ,आत्मविश्वास की
ठोस ईरादे की
बूंद - बूंद से घट भरता है
तुम्हारी भागीदारी न जाने कितनों की दुनियां बदल देगी
काम भी है समस्या भी है
बस हाथ आगे बढाना है
शिकायतकर्ता नहीं ,निर्माणकर्ता बनना है
स्वयं को बदलना है
हर एक जन यह. सोच ले
तो समाज भी बदलेगा , देश भी बदलेगा
जन- जन से तो यह दुनियॉ है
हर जन की भागीदारी भी तो जरूरी है

No comments:

Post a Comment