Sunday, 27 May 2018

खाली हाथ ही जाना है

एक दोस्त से मुलाकात हुई सालों बाद
हमेशा हँसती ,मुस्कराती
कभी -कभी परेशान भी
सास से पति से परिवार से
पर आज कोई नहीं
सब धीरे-धीरे चल दिए
उम्र के इस पड़ाव पर अकेली
जीवन भर तकझक
आज शांत ,नीरव
मेहनत कर
काटकसोर कर
एक -एक तिनका जोड़ आशियाना बनाया
अब उसमें कोई नहीं
अकेले ही रह गए
एक दिन यह प्राण भी साथ छोड़ देंगे
सब यही धरा का धरा रह जाएगा
अकेले आए अकेले जाना
यही जीवन का सत्य
राजा-महाराजा चले गए
महल अब खंडहर है
सब नश्वर है
तब भी जद्दोजहद
सब जानते - बूझते
मुसाफिर को तो जाना है
सब यही रह जाना है
जीवन की बगिया को मुरझाना है
पतझड़ को तो आना है
खाली हाथ ही जाना है

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