Sunday, 18 November 2018

नाम नहीं काम बोलेगा

नाम मे क्या रखा है
नाम मे बहुत कुछ रखा है साहब
आजकल नाम बदलाव का चलन
अपने जिले का नाम बदल जाय
कैसा लगेगा
वह हमारी पहचान है
हम उससे जुड़े हुए हैं
हमारी भावना भी
अचानक पता चले
नाम बदल गया
वह जल्दी हमारी जबान पर चढता नहीं है
वी टी से सी एस टी
बंबई से मुंबई
जबान पर आने के लिए बरसों लग गए
यह बदलाव तो ठीक था
अस्मिता का प्रश्न था
विक्टोरिया से शिवाजी
मराठी भाषा का
पर बहुत से लोगों को तो कौन से मार्ग पर रहते हैं
यह भी पता नहीं
लोकल और लोकप्रिय है वही उपयोग होता है
पर इसके पीछे राजनीतिक फायदा उठाया जाय
यह तो उचित नहीं है
बिना उचित कारण
आगरा मे ताजमहल या लखनऊ
इनका नाम बदलने की क्या जरुरत
यह तो कोई नुकसान नहीं पहुंचा रहे
इनकी पहचान  तो इससे ही है
भाषा या धर्म के नाम पर
तब तो उर्दू का क्या??
विदेशियों के नाम पर भी बहुत नाम है
क्योंकि उन्होंने कार्य किया है
पूरा इतिहास बदलना
बिना किसी वजह के
इसका तो कोई औचित्य नहीं
और सरकारी खर्च
सब कहाँ से आएगा
जनता के पैसों से??
जो कागजात लेकर परेशान रहेगी
नाम नहीं काम बोलेगा

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