Saturday, 29 December 2018

दस्तक

दस्तक तो देना ही पड़ता है
अन्यथा दरवाजा खुलेगा कैसे
कैसे पता चलेगा
हम क्या चाहते हैं
अंदर क्या है
जरूरत पर हर दरवाजा खटखटाना चाहिए
क्या पता हमारा काम बन जाय
कोशिश तो करना ही चाहिए
अगर दस बंद कर लेंगे
कोई एक ऐसा भी होगा
जो खोल देगा
शायद उन्हें भी हमारी जरूरत हो
यह बात जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है
हम निराश हो जाते हैं
उम्मीद छोड़ देते हैं
लगता है यह दुनिया हमारे लिए बनी ही नहीं है
अगर हमें नौकरी की जरुरत है
तो उन्हें भी अच्छे कर्मचारी की
तो भाई जंग लड़ते रहिए
दस्तक देते रहिए
क्या पता कौनसा द्वार आपकी किस्मत बदल दे
कोशिश करने मे हर्ज ही क्या है
कौन सा हर्जाना लगेगा
बस दस्तक ही तो देना है
बिना प्रयत्न के कुछ हासिल नहीं
पेट का सवाल है
और यह तो हर जीव को करना है
कौए को भी हर घर से रोटी नहीं मिलती
पर वह हर दरवाजे और खिड़की पर जाता है
काव काव की रट लगाता है
कोई भगा देता है
तो कोई बुलाकर देता है
श्राद्ध मे तो और भी ज्यादा
इंतजार होता है
यह तो दस्तक है
देना ही पड़ता है
और दरवाजा खुलने का इंतजार  भी

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