मोबाइल है
लाइक और डिसलाइक
पसंद और नापसंद
अच्छा और बुरा
यह तो संभव है
ब्लाक कर
डिलेट कर
सब कुछ संभव है
यह संभावना हर जगह नहीं
कुछ यादें जो मिटाए नहीं मिटती
वह अच्छी हो सकती है
बुरी हो सकते है
पसंद हो सकती है
नापसंद हो सकती
चाहा या अनचाहा भी
इसे डिलेट या ब्लॉक नहीं कर सकते
चाहकर भी
कुछ मुस्कान लाती है
कुछ भावविभोर करती है
कुछ आँसू ले आती है
कुछ परेशान भी करती है
लेकिन इस पर बस नहीं
यह हमारे साथ ही रहती है ताउम्र
मोबाइल और जीवन मे यही फर्क है
वह मशीन है
निर्जीव है
जीवन सजीव है
चेतन है
उसके पास वह बटन नहीं है
स्वीच आँफ करने का
ब्लाक करने का
डिलीट करने का
हम मोबाइल को संचालित करते हैं
मोबाइल हमें नहीं
मशीन जीवन तो नहीं है
हो भी नहीं सकता
तरक्की कितनी भी हो
जीवन सब पर भारी है
No comments:
Post a Comment