मकर संक्रांति और खिचड़ी
यह संबंध पर गौर किया
वैसे तो खिचड़ी का इतना महत्व नहीं
ज्यादातर लोगों को यह भाती भी नहीं
तबीयत नासाज हो
आलस हो
जल्दबाजी हो
मन न कर रहा हो
समय न हो
तभी खिचड़ी का सहारा
अगर खिचड़ी पर गौर करें
तब यह भी है लाजवाब
सबके रसोई मे कभी न कभी
गरीब हो अमीर
सबका भोजन
सबको अपने मे समाहित
दाल के साथ-साथ सब्जी को भी साथ ले लेती
सादी या मसालेदार
हर रूप मे स्वादिष्ट
ऊपर से देशी घी
साथ मे दही ,सलाद और पापड़
तब क्या कहने
ज्यादा की जरुरत नहीं
एक ही बर्तन काफी
न कोई झंझट
बस चढ़ा दीजिए चूल्हे पर
पक जाएगी
खाए गरम तब ही मजा देती हमारी खिचड़ी
और बहुत सा संदेश भी देती
मिलनसारिता ,सादापन ,सीमित साधन ,समय की बचत
,सबके काम ,सबके साथ रह कर मिल कर भी अपना असतित्व कायम रखना
तभी तो दुनिया भर के व्यंजनों की भरमार हो
तब भी खिचडी को नहीं कोई भूला
शायद तभी संक्रांति को खिचड़ी बनाने का रिवाज चल निकला
साल भर मे न जाने कितनी बार इसकी आवश्यकता होगी
रसोई से तो यह गायब नहीं हो सकती
बीमार या जरूरतमंद
सबकी चहेती खिचड़ी
किस्से - कहानियों की जान
मानव की पहचान
घर मे हो या दिमाग में
खिचड़ी तो पकती ही रहती है
जब तक जीव तब तक खिचड़ी का संग
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Tuesday, 15 January 2019
खिचड़ी हमारी संगी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment