शब्दों का अपना संसार
शब्द अच्छे हो सकते हैं
बुरे हो सकते हैं
मीठे हो सकते हैं
कड़वे हो सकते हैं
कठोर हो सकते हैं
नम्र हो सकते हैं
व्यंग्य हो सकते हैं
मजाकिया हो सकते हैं
पीडादायक हो सकते हैं
भावनात्मक हो सकते हैं
हास्यास्पद हो सकते हैं
सारी सृष्टि शब्दों के मायाजाल मे जकडी है
कुछ हंसाते हैं
कुछ दुखी करते हैं
कुछ अंदर तक भेद जाते हैं
शब्द ही जो थे महारानी द्रौपदी के
अपमानित दुर्योधन और महाभारत का एक कारण
शरीर का घाव भर जाता है
शब्दों के घाव नहीं
व्यक्ति उसी मे अपना जीवन केन्द्रित कर लेता है
वह बदले की भावना हो
या फिर प्रेम की
कभी कभार मौन का चोला भी पहन लेता है
शब्द दूर ले जा सकते हैं
पास ला सकते हैं
प्रेम और भाईचारा निर्माण कर सकते हैं
वैमनस्यता बढ़ा सकते हैं
यहाँ तक कि जान भी ले सकते हैं
जीवन मे शब्दों का चयन सोच समझ कर करना है
शब्दावली गरिमामय हो
एक बार निकल गए
तब वापसी भी नामुमकिन
शब्दों से ही तो संसार संचालित
शब्द ही संस्कृति
शब्द ही संसार
शब्द ही संस्कार
शब्द ही हमारी पहचान
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