नवजीवन की शुरुआत
कभी भी
कहीँ से भी
उम्र कोई मायने नहीं रखती
बस जज्बा होना चाहिए
शरीर थकता नहीं
मन थकता है
मन कहेगा
तभी शरीर भी पीछे पीछे आएगा
बस अब और नहीं
यह कह दे
तब तो वही बैठ जाएंगे
यौवन मे भी वृद्ध
वृद्ध मे भी यौवन
यह दृश्य तो सामान्य है
व्हीलचेयर पर बैठकर भी काम कर लेते हैं
कुछ पैरों के होने पर भी नहीं खड़े हो पाते
दृष्टि होने के बावजूद कुछ दिखाई नहीं देता
दृष्टिहीन भी बड़ी बाजी मार ले जाते हैं
बात अपंगता या असमर्थता की नहीं होती
नजरिए और सोच की होती है
रुकना नहीं चलना है
यही तो जीवनलक्ष्य है
तब क्या करेगा
युवा और बूढा
मन को युवा रखना है
बचपना भी रखना है
हर रोज कुछ नया सीखना है
तभी तो असली जीवन का मजा है.
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Monday, 1 April 2019
नवजीवन की शुरुआत
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