Monday, 1 April 2019

नवजीवन की शुरुआत

नवजीवन की शुरुआत
कभी भी
कहीँ से भी
उम्र कोई मायने नहीं रखती
बस जज्बा होना चाहिए
शरीर थकता नहीं
मन थकता है
मन कहेगा
तभी शरीर भी पीछे पीछे आएगा
बस अब और नहीं
यह कह दे
तब तो वही बैठ जाएंगे
यौवन मे भी वृद्ध
वृद्ध मे भी यौवन
यह दृश्य तो सामान्य है
व्हीलचेयर पर बैठकर भी काम कर लेते हैं
कुछ पैरों के होने पर भी नहीं खड़े हो पाते
दृष्टि होने के बावजूद कुछ दिखाई नहीं देता
दृष्टिहीन भी बड़ी बाजी मार ले जाते हैं
बात अपंगता या असमर्थता की नहीं होती
नजरिए और सोच की होती है
रुकना नहीं चलना है
यही तो जीवनलक्ष्य है
तब क्या करेगा
युवा और बूढा
मन को युवा रखना है
बचपना भी रखना है
हर रोज कुछ नया सीखना है
तभी तो असली जीवन का मजा है.

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