शब्दों से तीर मत चलाओ
शब्दों से फूल चलाओ
जो मरहम का काम करे
किसी के तप्त ह्रदय को शांत करे
किसी का दुख दूर करें
न कि किसी की दुखती रग को छेड़े
धीरज और सांत्वना दे
शब्दों के मायाजाल से बचे
इसे निकलने में तो क्षण भर नहीं लगता
पर भुलाने में बरसों लग जाते हैं
इसका घाव कभी नहीं भरता
इसकी अग्नि ठंडी नहीं होती
धधकती रहती है
कभी-कभी विनाशकारी भी
बहुत सोच समझ कर बोलना है
जिह्वा पर नियंत्रण
यही इसका मूलमंत्र
यही सम्मान का हकदार
यही अपमान का कारण
अंशाति का कारण
पास आना है तो फिर मिठास
दूर होना है तब कडवाहट
स्वयं के जीवन में भी मिठास
औरों के जीवन में भी
आवाज का जादू चल गया
तब आपके समक्ष कोई नहीं टिक सकता
सबके दिल पर राज होगा
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