पुरानी कहावत है
जहाँ ज्यादा मिठास हो
वही कीडे लगते हैं
चींटिया वही मंडराती है
चट कर डालती है
इतना भी संबंध नहीं
कि आप पर भारी हो
आपका व्यक्तित्व खत्म होने लगे
बिस्कुट को ही देखिए
जब चाय में ज्यादा डूबता है
तब स्वयं ही खत्म हो जाता है
संबंध रखिये
पर उतना ही
जितना जरूरी हो
कबीर का दोहा कितना खरा है
न लेना न देना
मगन रहना
अपने आप पर किसी को हावी न होने दें
चाहे वह कोई भी हो
ऐसे भी यह अस्थायी है
बदलता रहता है
आज आप
तो
कल कोई और
अतः अपने आज को कायम रखिये
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