Tuesday, 23 July 2019

प्यार भरी फुहार

फूल तो रेगिस्तान में भी खिलते हैं
कितना भी कठोर हो
अंतरतम में एक कोमल दिल रहता है
प्यार भी हिलोरे मारता है
दिल हिचकोले खाता है
पत्थर में भी झरने फूटते है
लहरे झूमती मचलती है
दिल में ज्वालामुखी का लावा उबलता हो
तब भी उसमें पानी की फुहारे रहती है
स्नेहमयी स्पर्श से प्यार का झरना फूटेगा
फूल मुस्कराएगे
कलियां खिल उठेगी
ज्वालामुखी शांत हो जाएंगा
कण कण द्रवित हो उठेगा
बस प्यार भरी थोडी-सी फुहार की दरकार

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