जख्म भर जाते हैं
उन्हें धोया पोछा जाय
मरहम पट्टी की जाय
दवा दारू की जाय
यह तो हुई बात शरीर के जख्म की
मन के जख्म भी भर सकते हैं
उन्हें प्रेम और धीरज दिया जाए
प्यार से सहलाया जाय
ये जख्म दिखते नहीं है
पर होते बडे गहरे हैं
अगर नासूर बन जाए
तब तो खतरनाक है
इन पर नमक नहीं छिडकना है
नहीं तो यह हरे भरे ही रहेंगे
कुरेदना नहीं है
सहानुभूति रखनी है
पर समाज में तो तरह-तरह के नमक उपलब्ध
टाटा ,पतंजलि ,अन्नपूर्णा से लेकर
काला नमक ,सेंधा नमक ,समुद्री नमक
यह सामने वाले को काला पीला कर डालते हैं
बींध डालते हैं
इसमें मजा भी आता है
जख्मो पर नमक छिड़कना इनका स्वभाव है
उसे और नमकीन बना चटखारे लेते रहते हैं
जब तक छिडके नहीं
सब बेस्वाद नजर आता है
ऐसे लोगो को जख्म दिखाने की जरूरत नहीं
दूरी बनाए रखना है
यह शातिर सीधे दिल पर वार करते हैं
सावधान रहें
इंसान के रूप में शैतान
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