बारिश की बूंदों की फुहार
मन मचल मचल जाय
बूंदे मचलती ,इठलाती ,बल खाती
आसमान से धरती पर
गिर रही छमाछम
न कोई रोकटोक
न कोई बंधन
स्वतंत्र ,मनमौजी
इन्हें देख
मन मचल मचल जाय
हलचल उठ रही
छमछम नाचने को जी हो रहा
किसी की रोकटोक नहीं
गुलामी नहीं आजादी
जहाँ चाहे जाऊं
जहाँ चाहे रहूं
जो चाहे करू
जिंदगी को बूंदों की तरह जी लूँ
बूँद के बुलबुले सी जिंदगी
इसके ताने बाने हजार
सब छोड़ दूँ
बस जी भर जी लूँ
पडी बारिश की बूंदों की फुहार
मन मचल मचल जाय
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Thursday, 25 July 2019
बूँदो की फुहार
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