Wednesday, 3 July 2019

हाय रे मुंबई

बारिश से बेहाल
उस पर कविता का खुमार
नेता को कविता की पंक्तियाँ सूझ रही है
कविता करने में तो कोई बुराइ नहीं
अच्छी बात है
कविता तो तब निकलती है
जब मन संवेदना से भरा हो
    वियोगी होगा पहला कवि
आह से निकला होगा गान
    निकल कर आँखो से चुपचाप
    बही होगी कविता अंजान

यहाँ मुंबई की बारिश को देखकर कविता
वह भी प्रेम भरी
दर्द का अभाव
ऐसा ह्दयहीन हो गया
तब तो हमारा मन भी यही कह रहा है
  हाय रे मुंबई
         कहे कविराय

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