बारिश से बेहाल
उस पर कविता का खुमार
नेता को कविता की पंक्तियाँ सूझ रही है
कविता करने में तो कोई बुराइ नहीं
अच्छी बात है
कविता तो तब निकलती है
जब मन संवेदना से भरा हो
वियोगी होगा पहला कवि
आह से निकला होगा गान
निकल कर आँखो से चुपचाप
बही होगी कविता अंजान
यहाँ मुंबई की बारिश को देखकर कविता
वह भी प्रेम भरी
दर्द का अभाव
ऐसा ह्दयहीन हो गया
तब तो हमारा मन भी यही कह रहा है
हाय रे मुंबई
कहे कविराय
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