Saturday, 20 July 2019

मां के लिए भी

मां को खाना दिया ऐसा जैसे पटक दिया
यह लो खाओ
तुम्हारे नखरे हजार
दांत से टूटता नहीं
तब हम लोग क्या पीस कर खाए
तुम्हारे लिए अपने मुख का स्वाद बेकार करें

अचानक बच्चा रो उठा
इसे भूख लगी है
दलिया या खिचड़ी बनाना था
सब्जियों को पीस कर बनाना था
इतना कडा चावल वह कैसे खाएगा

अचानक नजर माँ पर गई
मां मुस्करा रही थी
ऑखों ही ऑखों में मानो कह रही हो
तुझे भी एक दिन ऐसे ही खिलाया था
फर्क इतना था
तू बच्चा था दांत नहीं थे
आज मेरे नहीं है

अचानक कह उठा
जैसा मुन्ने के लिए बनेगा
वैसा माँ के लिए भी

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