Tuesday, 30 July 2019

जी भर कर जी लीजो

जीवन जितना मिला है
जी भर कर जी लीजो
कल का कौन ठिकाना
पल का ही नहीं
कल की तो छोड़ दो
रात की सुबह भी होगी या नहीं
सपने पूरे होंगे या नहीं
यह काम पूरा कर पाएंगे या नहीं
ताने बाने बुनता शख्स
उलझा हुआ रह जाता है
रात में खिलने वाले पुष्प को भी यह आभास तो नहीं
सुबह उसकी कैसी होगी
श्मशान में जाएगा अर्थी पर
ईश्वर के चरणों में अर्पित होगा
जीवन ही क्षणभंगुर है
नश्वर है
तब फिर कल की क्यों सोचना
आज हमारा है
अभी हमारा है
पल हमारा है
तब कल की छोड़
जीवन जितना मिला है
जी भर कर जी लीजो

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