जीना और मरना
क्या होता है
कुछ जीते हुए मर जाते हैं
कुछ मरकर भी जी जाते हैं
कुछ अपनी इच्छाओ का दमन करते
घुट घुट कर जीने पर मजबूर
कुछ बिना किसी की परवाह
अपनी इच्छा से जीवन जीते
कुछ दूसरों की परवाह करते
कुछ सबको धता दिखा अपनी मनमर्जी
जीवन तो एक ही है
तब उसको जीना भी स्वयं ही
दूसरों की दखलंदाजी बेमानी
स्वतंत्रता से जीना
बंधन और गुलामी इस पर नहीं लादना
जीवन का असली मायने समझना
स्वयं के लिए भी जीना
विचार की स्वतंत्रता
राह और दिशा की स्वतंत्रता
मंजिल पर पहुंचने का माद्दा
सही निर्णय
तभी तो जीया जाएगा
जिंदा मुर्दा क्यों बने
जीए तो जी भर कर जीए
जीते जी हर पल को जीए
कल को छोड़ आज को जीए
आजाद पंछी की तरह
गुलामी नहीं आजादी को अपनाए
तभी मिलेगा जीवन का आनंद
ईश्वर की अनुपम रचना को अपमानित मत करिए
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 1 September 2019
ईश्वर की अनुपम रचना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment