Friday, 20 September 2019

पापा की बेटी

पिता हो आप
मैं आपकी लाडली
बचपन में आपकी उंगली पकड कर चली
जब जब गिरी तब तब उठाया
कंधे पर लादकर खिलाया
बस्ता ढो पाठशाला पहुंचाया
जब जब गलती की
समझाया और मनाया
कभी-कभी मेरी नादानी पर भी मुस्कराए
तमन्ना थी उडान भरने की
भरपूर साथ निभाया
अपनी इच्छाओं को कुर्बान किया
बहुत नाज नखरे उठाए अपनी लाडली की
आज वही लाडली सिसक रही है
जीवन डोर बांधी जिसके साथ
वह आपसा नहीं
लालची ,अंहकारी और क्रोधी
उसके साथ जीवन बिताना
नर्क से भी बदतर
मुझे और कुछ नहीं चाहिए
बस फिर अपने साथ ले लो
बेटी को इसलिए नहीं पाला था
पढाया लिखाया था
किसी का सहने के लिए
मैं जीना चाहती हूँ
आपका नाम रोशन करना चाहती हूँ
आपकी मेहनत को सफल करना चाहती हूँ
यहाँ मैं घूट घूट कर जी रही हूँ
हिम्मत ही नहीं होती थी
अब जाकर जुटाई है
आप समझ गए होंगे
पिता ही व्यथा समझ सकता है
अन्यथा लोगों का क्या है
बातें बनाना
मुझे विश्वास है
आप मुझे उस तरह बचा लेंगे
जिस तरह चिडियां अपने बच्चों को छुपा लेती है
यही आस है
आप पर विश्वास है
तभी तो जीना है
अपनी लडाई लडना है
कमजोर नहीं
बस मजबूर हूँ
पापा की बेटी हूँ

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