Tuesday, 22 October 2019

मेरा चांद

करवा चौथ को सब कर रहे थे चांद का इंतजार
मै कर रहा था अपने चांद का इंतजार
कब होगा मेरे चांद का दीदार
वैसे तो हर रोज देखता हूँ अपने चांद को
पर आज की बात कुछ और ही होती है
सज संवर कर निकलता है
पूरे शबाब में रहता है
यौवन भी परवान चढा  रहता है
भूखे प्यासे रह कर भी चेहरे पर नूर रहता है
मुख से मिसरी जैसी बोली निकलती है
अदा भी लाजवाब
चाल में नाजुकता
प्यार से लबालब
पचास की उम्र में भी पचीस सी हसीन
तब मैं भी जवान महसूस करता हूँ
मेरा दिल जवानी जैसा धडकता है
इच्छाएं अंगडाइया लेने लगती है
साल में एक बार आता है
जीने का जोश भर जाता है
ऐसी ही जीवनदायिनी बनती रहे यह जीवन-संगिनी
हम धरती पर अपनी चांद को निहारते रहे
उस पर निसार होते रहे
सब उस चाँद को देखें
मैं अपनी चांद को देखता रहूँ

No comments:

Post a Comment