Friday, 1 November 2019

एहसास

अच्छा तब लगता है
जब मन अच्छा हो
कितना भी सुहावना शमा हो
खुशी नहीं दे सकता
जब तक कि मन खुश न हो
कितनी भी शांति हो
सुकून नहीं दे सकती
जब आपका मन अशांत हो
बेचैनी डेरा डाले रहेगी
तब चैन कैसे मिलेगा
खुशी भौतिक सुविधाओं से नहीं
अंतर्मन में समायी रहती है
उसे खरीद नहीं सकते
इसका कोई दाम नहीं है
भारी भीड में भी अकेले हो सकते हैं
अपने में ही खोये रह सकते हैं
यह सब एहसास है
जैसा एहसास वैसा ही सब
फिर वह खुशी हो या गम

No comments:

Post a Comment