Tuesday, 26 November 2019

नेता बिकता है खरिदोगे

नेता बिक रहा बाजार में
बोली लगी है
दोनों तरफ का यही हाल
कोई किसी से कम नहीं
अब कौन क्या दाम लगाता है
किसे मलाईदार विभाग मिलता है
सब इस पर निर्भर
पार्टी की निष्ठा गई भाड में
अपना फायदा जहाँ
हम है वहाँ
कौन है क्या है
बेईमान है भ्रष्टाचारी है
वह कोई मायने नहीं
हमारे साथ आ जाओ
सब धुल जाएंगा
एकदम क्लीन चिट मिल जाएंगा
विचार अलग है तो क्या हुआ
आदर्श अलग है तो क्या हुआ
यह कौन सी बडी बात
सत्ता के सामने सब नगण्य
कल तक भले एक दूसरे को गाली देते थे
आज तो बलगहिया कर रहे हैं
भूलना प्रकृति का नियम है
हम भी चलो चले
सब भूल जाए
बस एक बात न भूले
वह है सत्ता का स्वाद
जो एक बार चढ गई
तब तो सर चढकर बोलती है
सब बिकने को तैयार
खरीदार भी बोली लगाने को तैयार
जिसकी बोली में दम
उसकी तरफ हम

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