Thursday, 28 November 2019

फूल गिरते हैं

फूल गिरते हैं
फिर भी दूसरे दिन नया खिलते हैं
न पौधा हार मानता है
न फूल खिलना छोड़ता है
आंधी ,तूफान ,धूप सब सहन करता है
थपेडों और गर्मी सह लेता है
शीत में ठिठुरता है
फिर भी तो खिलता है
क्षण भर की जिंदगानी
यह भी वह जानता है
तब भी खुशबूं देता है
खुशी देता है
यह तो जीवन-चक्र है
यह वह भलीभाँति जानता है
अगर वह काम न आए
तब जीवन ही व्यर्थ उसका
ऐसा जीवन किस काम का
तब क्यों न जीए देते हुए
जाना है
मुरझाना है
टूट कर मिट्टी में मिलना है
तब भी दिलों पर राज करना है
कुछ देकर जाना है
फूल गिरते हैं
फिर भी दूसरे दिन नया खिलते हैं

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