Thursday, 28 November 2019

प्याज के साथ प्यार

आज भजिया खाने का मन
पर ठेले पर तो पालक ,आलू के पकौड़े
पर मनपसंद प्याज की पकौड़ी नदारद
पूछने पर पता चला
बहन जी इतना मंहगा
कौन बनाएंगा
मन मायूस हो गया
पर जो तलब थी भजिया की
वह बढ ही रही थी
पास में ही एक दोस्त रहती है
अमीर है
नौकर चाकर है
जब जाती हूँ
तब वह नमकीन ,भजिया चाय के साथ खिलाती ही है
वह जानती है भजिया मेरी कमजोरी है
आखिर पैर उस तरफ उठ ही गए
अंदर गई
प्रेम से बैठाया
नौकर को आदेश दिया
पानी लाने का
फिर चाय और नाश्ता बनाने का आदेश दिया
मुझसे कहा
अभी आती हूँ
वह गई ,कुछ देर हो गई
मैंने सोचा देखूं ,कहाँ रह गई
किचन के बाहर तक पहुंची ही थी
आवाज आई खुसपुस
वह पत्ता गोभी है न वह काट
और आधा प्याज मिला कर बना दे
उसे क्या पता चलेगा
चटोरी है खा लेंगी
मै उल्टे पैर आकर सोफे पर बैठ गईं
प्याज तो आपस का प्यार भी खत्म कर रहा था
न जाने कैसे कैसे दिन दिखाएगा

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