Sunday, 24 November 2019

चलना है जैसे भी

कभी चलते थे ठुनक ठुनक
कोई न कोई पीछे
गिर न जाय
छोटा बच्चा है
किसी को हाथ पकड़कर चलना है

फिर भागने लगे
दौड़ने लगे
सब पकड़ने को भागने लगे
पर किसी के हाथ नहीं लगे
यह जवानी का जोश था

फिर उम्र ढलने लगी
थम थम कर चलने लगे
बाद में वैसे ही ठुमक ठुमक
अब काठी है हाथ में
कोई पकड़ने वाला नहीं
स्वयं ही सहारा ढूंढना है
जैसे आए थे
सालों बाद भी फिर वही हाल
चलना है जैसे भी चलना है

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