Sunday, 1 December 2019

जीने का मजा तो अपनों के साथ

आज घर में अकेले हूँ
सब बाहर गए हैं
शांति ही शांति
सुबह उठते ही कोई किच-किच नहीं
आराम से अपना मनपसंद खाऊँगी
टेलीविजन देखूंगी
व्यायाम करूँगी
टहलने जाऊंगी सुबह सुबह
अच्छा मजेदार दिन काटेगा
हर रोज जैसा उबाऊ नहीं

रात में भी नीरव शांति
वह अखरने लगी
आदत जो नहीं थी
किसी का इंतजार भी नहीं था
समय से पहले ही बिस्तर पर
देर रात तक नींद नहीं

सुबह हुई
देर तक सोई
सर भारी भारी
किसी तरह चाय बना ली
बस फिर पसर गई सोफे पर
कहाँ का खाना
कहाँ का टहलना
सब धरा का धरा
स॔ध्या हुई
इंतजार अपनों का
कब आएंगे
कम से कम घर में हलचल तो रहती है
जीवन का एहसास तो रहता है
किसी के लिए कुछ करना रहता है
भावनाओं का खिलवाड़ चलता है
कभी हंसना
कभी रोना
कभी क्रोध
कभी नाराजगी
कभी खुशी
कभी गम
कभी उदासी
कभी जिद
अकेले में तो इनका कोई स्थान नहीं
यहाँ तो अपनी मनमानी
तब क्या मजा जीने में
जीने का मजा तो अपनों के साथ

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