ये सडक तू गवाह रहना
हमारी पीडा की हमारे दुख की
हम तुझ पर ही चले
तुझ पर ही सोए
जब कोई आसरा नहीं
तब तेरा ही सहारा
हमने ही तुझे बनाया
उसका एहसान भी तूने बखूबी निभाया
धूप में चलते हमारे पैरों पर छाले पडे
रात काटी तुझ पर ही सो कर
कंधे पर बच्चे को लादे
कभी तेरे ही किनारे बच्चे को जन्म दे
कभी तुझ पर ही दम तोड़ हमेशा के लिए सो गए
खीचते रहे अपने को
कभी पैदल
कभी रिक्शा
कभी साइकिल
कभी बस में कभी ट्रकों में जानवरों की तरह ठूंसे हुए
कभी लटके हुए
कभी कंटेनर और मिक्चर में छुप कर बैठे हुए
पता नहीं क्या क्या जुगाड़ लगाया
छुपते छुपाते चले
कभी नजर पडी
कभी नहीं पडी
डंडा खाया
कभी इधर भागे
कभी उधर भागे
पर फिर तेरी राह पकड़ ली
कोई हमारी मजबूरी को जाने या न जाने
पर तू तो बखूबी जानती है
हमने कई दिन और कई रातें
तुझ पर ही गुजारी है
जन्म से लेकर मृत्यु का भी सामना हुआ है
किसी बेबस माँ ने प्रसव उपरांत बच्चे को तुझ पर ही छोड़ आगे बढी
ऑखों में ऑसू और माँ की बेबसी को तुझसे ज्यादा कौन समझेगा
हर भूखे और प्यासे को तूने देखा है
बूढे ,बच्चे और अपंग को गुजरते देखा है
भूख से बिलबिलाते देखा है
तुझे हमारी पीडा का एहसास तो होगा
ये सडक तू गवाह रहना
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Friday, 22 May 2020
ये सडक तू गवाह रहना
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