Friday, 22 May 2020

ये सडक तू गवाह रहना

ये सडक तू गवाह रहना
हमारी पीडा की हमारे दुख की
हम तुझ पर ही चले
तुझ पर ही सोए
जब कोई आसरा नहीं
तब तेरा ही सहारा
हमने ही तुझे बनाया
उसका एहसान भी तूने बखूबी निभाया
धूप में चलते हमारे पैरों पर छाले पडे
रात काटी तुझ पर ही सो कर
कंधे पर बच्चे को लादे
कभी तेरे ही किनारे बच्चे को जन्म दे
कभी तुझ पर ही दम तोड़ हमेशा के लिए सो गए
खीचते रहे अपने को
कभी पैदल
कभी रिक्शा
कभी साइकिल
कभी बस में कभी ट्रकों में जानवरों की तरह ठूंसे हुए
कभी लटके हुए
कभी कंटेनर और मिक्चर में छुप कर बैठे हुए
पता नहीं क्या क्या जुगाड़ लगाया
छुपते छुपाते चले
कभी नजर पडी
कभी नहीं पडी
डंडा खाया
कभी इधर भागे
कभी उधर भागे
पर फिर तेरी राह पकड़ ली
कोई हमारी मजबूरी को जाने या न जाने
पर तू तो बखूबी जानती है
हमने कई दिन और कई रातें
तुझ पर ही गुजारी है
जन्म से लेकर मृत्यु का भी सामना हुआ है
किसी बेबस माँ ने प्रसव उपरांत बच्चे को तुझ पर ही छोड़ आगे बढी
ऑखों में ऑसू और माँ की बेबसी को तुझसे ज्यादा कौन समझेगा
हर भूखे और प्यासे को तूने देखा है
बूढे ,बच्चे और अपंग को गुजरते देखा है
भूख से बिलबिलाते देखा है
तुझे हमारी पीडा का एहसास तो होगा
ये सडक तू गवाह रहना

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