Monday, 18 May 2020

तब क्यों न सहज रहे

इस समय फ्रीज खराब हो जाना
कितनी बडी मुसीबत
जब सामान स्टोर कर रखना है
दूध मक्खन सब्जी और रोजमर्रा की चीजें
पर क्या करें
आफत आ हो गई
फ्रीज खराब पडा है
मैकेनिक मिल नहीं रहे
इलेक्ट्रॉनिक दूकान बंद
ऊपर से लाकडाऊन
कहाँ जाएँ क्या करें
किसी तरह सामान को इधर-उधर किया
दूध फटकर पनीर बन गया
एक दो दिन तो भारी लगा
अब आदत हो गई
एक समय ऐसा भी था
फ्रीज नहीं था
काम चलता था
यही सोच लिया
अब कोई कहता है
हमारे यहाँ रख दो
तो इच्छा नहीं होती
कौन रोज रोज का झंझट पाले
एहसान ले
फिर किसको अच्छा लगे
किसी को नहीं
सब सोशल दूरी बनाए रखना चाह रहे हैं
एक विचार आया
यह वायरस भी तो अमर होकर नहीं आया है
इसका भी तोड़ अवश्य निकलेगा
हम इतने मायूस क्यों हो
ऐसा भी नहीं है
यह पहली आपदा हो
मानव इतिहास ने ऐसी बहुत सी आपदा देखी है
अलग अलग रूपों में
फिर वह उठ भी खडा हुआ है
तब क्यों न सहज रहे

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