जब रोम जल रहा था
नीरो बंशी बजा रहा था
आज भारत सडकों पर है
मर रहा है
कट रहा है
तब महानायक का पता नहीं
थाली भी बजी
ताली भी बजी
रोशनी भी हुई
फूल भी बरसे
जिनके लिए यह सब हुआ
उनके लिए इंतजाम क्या ??
वे भी जान गंवा रहे हैं
अपना कर्तव्य बजा रहे हैं
उनको क्या सुविधा मुहैया कराई गई
उनकी सुरक्षा के क्या इंतजाम हुए
यह काम किसका है
सोनू सूद का
रतन टाटा का
या फिर हमारे नेताओं का
हर व्यक्ति त्रस्त
वह मजदूर हो
गरीब हो
मध्यम वर्ग हो
नौकरी पेशा हो
उधोग धंधे वाले हो
इंजीनियर हो
आई टी प्रोफेसनल हो
मजदूर सडकों पर
पुलिस सडकों पर
डाक्टर और नर्स
अस्पताल कर्मचारी
अस्पताल में जान पर खेल रहे
दूसरों की जान बचाने में
नेता बयानबाजी में
भारत के हालात
रोम जैसे ही हो रही
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Thursday, 28 May 2020
भारत के हालात
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