दर्द है फिर भी शर्म है
यह दर्द बयां नहीं करना
बल्कि छुपाना है
चोट लगने पर आह निकलती है
यहाँ आह नहीं बस पेट पकड़ कर रह जाना है
न बताना
न जताना
बस सह जाना है
न घर से बाहर निकलना
न खेलना कूदना
बस किसी कोने में दुबक बैठ रहना है
कोई कुछ पूछे
तब बहाना बना देना है
अचार और दूसरी चीजों को हाथ नहीं लगाना है
रसोई घर में जाना ही नहीं है
तीन दिन बाद बाल धोकर नहाना है
शुद्ध हो जाना है
उसके बाद ही कुछ करना है
न किसी को खाना पानी देना है
न जाने कैसा अपराध
न जाने किस बात की सजा
महीने में तीन दिन
प्रकृति चक्र चल रहा है
महिलाए भुगत रही है
जहाँ उनका न कोई दोष
यह तो शारिरीक क्रिया
ईश्वर के दर्शन की मनाही
धर्म से दूर करता
यह मासिक धर्म
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Monday, 1 June 2020
धर्म से दूर करता यह मासिक धर्म
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