Monday, 1 June 2020

बरखा की पडी फुहार है

आज बागों में बहार है
फूलों में खुमार है
कोयल की गूंजान है
पडी बरखा की फुहार है
रिमिक्स रिमझिम गाती बूंदे
झूमते लहराते पेड
सरसराते पत्ते
महकती मिट्टी
मदमस्त इठलाती हवा
टर्र-टर्र करते मेंढक
गुंजन करते भौंरे
घोसले में दुबकती गौरैया
पंख फैला नाच दिखाता मयूर
कुहू कुहू का शोर मचाती कोकिल
सबका है ईशारा
आज कुछ खास है
कारण बरसात है
बादल भी मंडराया
घना अंधेरा छाया
बिजली भी कडकी
तब भी मन नहीं घबराया
उत्साह से सराबोर
उत्सुक हो देख रहा नजारा
शांत है फिर भी
चहुँ ओर बहार है
बरखा की पडी फुहार है

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