Monday, 22 June 2020

ज्यादा बड़बोला न बने टेलीविजन

इसको घुस कर मारों
उसको घुस कर मारों
यह इतना आसान है क्या ??
हम मारेंगे तो दूसरा तमाशा देखेंगा
वह भी तो वार करेंगा
छक्के छुड़ा देंगे हमारे जवान
मुंहतोड़ जवाब देंगे
यह हमला किया
वह हमला किया
इतनो को मारा
इतनो को ध्वस्त किया
यह हिसाब तो है
पर हमारे कितने ??
कितनों की शहादत
टेलीविजन पर इस तरह
जैसे सीमा पर खडे हैं
लडाई हो रही है
पुरजोर जवाब दे रहे हैं
राजनीति को दूर रखिये
सेना का जिक्र क्यों ??
तब भी सेना बहादुर थी
आज भी है
सेना सरकार नहीं है
सरकार बदले या वही रहें
जवानों को क्या फर्क
उनको तो उस पार का दुश्मन दिखता है
गोली दिखती है
टेलीविजन देशद्रोह और देशभक्त का पाठ पढाने वाला
जब टेलीविजन नहीं था
तब भी लडाईया हुई है
ज्यादा बड़बोला बन कर लडाई नहीं जीती जाती
कूटनीति काम करती है
विदेशनीति काम करती है
संसद में चर्चा होती है
निर्णय लिया जाता है
देशहित में क्या सही
क्या नहीं
फिर युद्ध कोई भी हो
कैसा भी हो
विनाशकारी ही होता है
तब बड़बोला न बना जाय
सबकी सुनी जाय
सोचा जाय
समझा जाय
तब कदम उठाया जाय

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