आज मन व्यथित है
मुझे कुछ तकलीफ है
ऐसी बात नहीं है
किसी दूसरे की तकलीफ पीडा दे रही है
आज मेरी मालकिन को वृद्धाश्रम ले जाया जा रहा है
जाते समय मुझ पर हाथ फेरा
ऑखों में ऑसू भर बिदा ली
मैं मूक खडी दर्शक थी
सब खुश थे
गाडी में बैठा ले गए
अब मुझे भी डर लग रहा है
अभी तो मैं फायदेमंद हूँ
दूध , गोबर सब देती हूँ
एक समय ऐसा आएगा
ये मुझे भी कहीं छोड़ आएंगे
किसी कसाई के हाथ बेच देंगे
गौ रक्षा सुना है
पर अब विश्वास नहीं है
वह भी माता
मैं भी गौ माता
जब जन्मदायी माँ का यह हाल
तब मेरी क्या बिसात
जब तक दुधारू
तब तक ही कीमत
अन्यथा बेकार द्वार पर खडी
मुझे हटाया जाएंगा
कहीं छोड़ा जाएंगा
यही मानव स्वभाव है
जब तक लाभ तब तक पूछ
अन्यथा तू कौन और मैं कौन
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Thursday, 25 June 2020
डर लग रहा है
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